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तुम्हें तहजीब नहीं तो खामोश रहो दिखाना जरूरी है क्या

तुम्हें तहजीब नहीं तो खामोश रहो दिखाना जरूरी है क्या

अपनी तबीयत की कमी लोगों को सुनाना जरूरी है क्या

और जिस शख्स की खिल्लियां उड़ा रहे हो तुम ,,,

वह इतिहास लिखे हुए हैं,, और तुम कुछ भी नहीं

तुम्हें यह हर बार एहसास दिलाना जरूरी है क्या

यह शिकायत है तो शिकायत ही सही पर दिखावे की मोहब्बत से बेहतर है

खामखा झूठे रिश्तो के रस्म निभा ना जरूरी है क्या

हमारे लहजे में जहर का एहसास तुम्हारी बदौलत है काम तो नही,,

इससे ज्यादा भी एहसान गिनवाना जरूरी है क्या

और हम कर चुके हैं अपने हिस्से की मोहब्बत उन्हें इत्तेला कर दो

यह दोबारा दिल लगाना जरूरी है क्या

कह दो फिक्र ना करें मेरे इंतकाल के बाद ही बेकसूर रहेंगे वह

वफा की नुमाइश शब्दों में दिखाना जरूरी है क्या

और हमने स्वाभिमान को मार कर बचाया था जिस रिश्ते को

उस रिश्ते से अब उम्मीद लगाना जरूरी है क्या

गुरूर है तो कर लो खोके पछताना भी तो तुम ही को है

अपने होने का एहसास उन्हें हर बार कराना जरूरी है क्या,,,😔😔

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