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कड़ी से कड़ी जोड़ते जाओ,
तो ज़ंजीर बन जाती है,
मेहनत पे मेहनत करो तो
तक़दीर बन जाती हैं।
एक बार किसी ने स्वामी विवेकानंद जी से पूछा:
सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा क्या है?
स्वामी जी ने जवाब दिया:
उस उम्मीद का खो देना जिसके भरोसे
हम सब कुछ वापस पा सकते हैं।
जिंदगी मिली है कुछ बनकर दिखाओ,
आज वक्त खराब है तो क्या हुआ,
एक दिन इसे बदल कर दिखाओ।
रिश्ते इसलिए भी नहीं सुलझ पाते हैं
क्योंकि लोग गैरों की बातों में आकर
अपनों से उलझ जाते हैं।
असफलता और सफलता दोनों ही
अवस्थाओं में लोग तुम्हारी बातें करेंगे,
सफल होने पर प्रेरणा के रूप में और
असफल होने पर एक सीख के रूप में
साथ रहने का हुनर ताले से
सीखिए, टूट जाएगा मगर
चाबी नहीं बदलेगा।
बुराई और अच्छाई
दोनों हमारे अंदर ही है,
हम जिसका प्रयोग अधिक करते है
वही निखर के आती है और
उसी से हमारा व्यक्तित्व बनता है।
जीवन में आपको
रोकने टोकने वाला कोई है,
तो उसका एहसान मानिए।क्योंकि जिन बागों में माली नहीं होते,
वो बाग जल्दी ही उजड़ जाते हैं।
ज़िद चाहिए जीतने
के लिए,
हार के लिए तो
एक डर ही काफी हैं।
दोस्त हालात बदलने वाले रखो,
हालात के साथ बदलने वाले नहीं।
खुद को कमजोर समझना
आपकी सबसे बड़ी भूल हैं।
कौन कहता है कि नेचर और
सिग्नेचर कभी नहीं बदलता?
बस एक चोट कि जरूरत होती है,
उंगली पर लगी तो सिग्नेचर बदल जाता है,
और दिल पर लगी हो तो नेचर बदल जाता हैं।
जिंदगी में कुछ फैसले बहुत
कठिन होते हैं और यही कठिन
फैसले एक दिन जिंदगी बदल देते हैं
मेहनत बताती है कि परिणाम कैसा होगा,
वरना परिणाम तो बता ही देगा की
मेहनत कैसी थी।
भगवान पर विश्वास बिलकुल
उस बच्चे की तरह करो जिसे आप
हवा में उछालों तो वह हँसता है,
डरता नहीं क्योंकि वह जानता है
आप उसे गिरने नहीं दोगे।
पढ़ाई करना कभी बंद ना करें
क्योंकि ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती
और पढ़ाई एक ऐसा निवेश है जो पूरी
जिंदगी आपको अच्छा Return देता रहेगा।
कोई कुछ भी बोले
अपने आप को शांत रखो,
क्योंकि धूप कितनी भी तेज हो,
समुंदर को सुखा नहीं सकती।
नहीं खाई ठोकरें सफर में तो
मंजिल की अहमियत कैसे जानोगे,
अगर नहीं टकराए गलत से तो
सही को कैसे पहचानोगे।