मेरी सदाएं खुदा तक जाती क्यों नहीं

मेरी सदाएं खुदा तक जाती क्यों नहीं | sad poem


तू बताए गा,,,,मेरी वफाएं रंग लाती क्यों नहीं,,,❤️
तू बताए गा,,,,मेरी सदाएं खुदा तक जाती क्यों नहीं,,❤️

ये इश्क,,,हकीकत में कहीं फरेब तो नही,,,❤
अगर ये सच है,,,तो तेरी तलब,,,,दूसरों के दीदार से जाती क्यों नही,,,❤️

न मेरा मजहब,,, न मेरी जात,,, न ही मेरा रूह है ये इश्क,,,❤️
फिर ये इश्क के सिवाय,,,कोई और लफ़्ज़ मेरे जुबां पर आती क्यों नही,,,❤️

और सुना है,,,उसके लबों की खुशियां अब मेरे लतीफे की मोहताज नही,,,,❤️
फिर वो मेरे आखों में अश्क देख के,,,मुस्कुराती क्यों नही,,❤️

थक गया हूं,,,अपने वजूद के उशूलो पर,,चल_चल के,,,❤️
ये रूह,,मेरा जिस्म छोड़ के,,,निकल जाती क्यों नही😊😊😊

और उसका मुश्कुराता चेहरा,,,,मुझे कभी उदास होने नही देता,,,❤️
अगर इतनी ही नफरत है,,,,तो मुझे रुला के दिखाती क्यों नही❤️


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