Jaun Elia

Jaun Elia ki mashoor shayriya

  1. अजब था उसकी दिलज़ारी का अन्दाज़
    वो बरसों बाद जब मुझ से मिला है
    भला मैं पूछता उससे तो कैसे
    मताए-जां तुम्हारा नाम क्या है?
  2. साल-हा-साल और एक लम्हा
    कोई भी तो न इनमें बल आया
    खुद ही एक दर पे मैंने दस्तक दी
    खुद ही लड़का सा मैं निकल आया
  3. दौर-ए-वाबस्तगी गुज़ार के मैंअ
    हद-ए-वाबस्तगी को भूल गया
    यानी तुम वो हो, वाकई, हद है
    मैं तो सचमुच सभी को भूल गया
  4. रिश्ता-ए-दिल तेरे ज़माने में
    रस्म ही क्या निबाहनी होती
    मुस्कुराए हम उससे मिलते वक्त
    रो न पड़ते अगर खुशी होती
  5. दिल में जिनका निशान भी न रहा
    क्यूं न चेहरों पे अब वो रंग खिलें
    अब तो खाली है रूह, जज़्बों से
    अब भी क्या हम तपाक से न मिलें
  6. शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी
    नाज़ से काम क्यों नहीं लेतींआप
    वो, जी, मगर ये सब क्या
    हैतुम मेरा नाम क्यों नहीं लेतीं

One comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *