जिंदगी को बेहतर समझने लगी हूँ

Best life poem in Hindi

ख्वाब से अब जरा जगने लगी,
जिंदगी को बेहतर समझने लगी हूँ !

उड़ती थी शायद कभी ऊंची हवा में,
जमीन पर अब पैदल चलने लगी हूँ !

लफ्जों की अब मुझको जरूरत नहीं है,
चेहरों को जब से मैं पढ़ने लगी हूँ !

दुनिया के बदलते रंगों को देखकर,
शायद में कुछ-कुछ बदलने लगी हूँ !

परवाह नहीं कोई साथ चले मेरे हमदम ,
मैं अकेले ही आगे बढ़ने को मचलने लगी हूँ !

कोई समझे या ना समझे मुझे अब फर्क नहीं,
शायद जिंदगी को पहले से बेहतर मैं समझने लगी हूँ !

 जिंदगी के बारे में ऐसी और kavita पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

Read more our Best life poem (kavita) in Hindi

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *