Physical Address
304 North Cardinal St.
Dorchester Center, MA 02124
ज़िंदगी जब कटी पतंग हो,
क्या हो जीने का अंदाज़ ?
बिखर जाएं अरमान सभी,
हो कैसे हंसने का आगाज़ ?
आकांक्षाओं की धूल से लिपटे,
जीवन के वे धुंधले तथ्य,
किसी सुखद संकेत की आशा,
कुछ मीठी अनुभूतियां अकथ्य।
जीवन को रसमय मान लें,
जीवन के रस की तलाश में
मिलन हो स्वप्न-यथार्थ जब,
झूठी-सच्ची इसी आस में।
क्यों हम करें कोई समझौता,
जब न मिल पाये खुशी,
क्यों आंसुओं से प्यास बुझाएं,
क्यों दर्शाएं नकली हंसी,
जीना है संतुष्टि को,
नहीं बनाएँ झूठे आदर्श।
अपना अलग अंदाज़ हो,
तभी बने जीवन निष्कर्ष।
– किशोर विमल
अगर आप ऐसी और कविता पढ़ना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें
ये कविता किशोर विमल( Vimal Rana ) द्वारा अमर उजाला काव्य वेबसाइट पर लिखी गयी है