poem in hindi

एक बार एक घड़ी सजना तुम काम करना

एक बार एक घड़ी सजना तुम काम करना,
देख कर मेरा चेहरा खुदा को सलाम करना !

मांगा है तुम को हर दुआ की चुप्पी में,
गर कभी मैं चुप रहा हूं तो मेरा मान करना !

काली-काली रातों में दबे हुए जज्बातों में,
ना हो सके कभी गुफ्तगू तो गुणगान करना !

गर हम मिले कभी श्रीगंगा घाट के किनारे,
नजरें मत झुकाना तुम यह एहसान करना !

चूमना तुम भी मेरा माथा बारीकी से,
और मन में सिमरन-ऐ-भगवान करना !

अहमद  की आंखें नशीली और तासीर गाफिल,
तेरे आंचली इत्र से गफलत को हराम करना !

अगर उठें कभी किसी बिस्तर से सोकर हम,
उन बिस्तरों को आयतों का अता नाम करना !

मेरी रूह में नहीं है खींचातानी के फरमान,
तेरे हिस्से का थोड़ा सा अमृत मेरे नाम करना !


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