sad poetry in hindi

पुरानेपन के शिकार अब भी हम

हैं पुरानेपन के शिकार अब भी हम,

सो जब चाय सामने आती है,

तो मुस्कान आ ही जाती है…!

उसे देख कर घुमा लू भले ही नज़रें अपनी

पर जो आनी होती है

गले में वो घुटन आ ही जाती है

सोचते हो कि हम सुबह में सोते क्यों हैं

रातें जब खो जातीं हैं

तो नींद कभी भी आ ही जाती है

सुना है अब भी वो नक़ाब लगाती है

फिर भूल गई होगी शायद

उसकी आँखों से पहचान में वो आ ही जाती है..!

ऐसा नहीं है कि वो मुझसे प्यार नहीं करती

हाँ ये तो है कि कभी-कभी

उसकी आदतों में बेबफाई आ ही जाती है

उसको पसन्द है राजा की कहानी

सो कभी-कभी ही सही

उसकी बातों में सियासत आ ही जाती है..!

 

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✍️ Arjun Sha

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